Emergency me RSS (Rashtriya Swayamsevak Sangh) par kyu lage the ban | आपातकाल में क्यों लगा आरएसएस पर प्रतिबंध

Emergency me RSS par kyu lage the ban : RSS यानी “राष्ट्रीय स्वयं सेवक” 98 बरस की हो गई है । और तीन साल बाद 2025 में आरएसएस सेंचुरी पूरी कर लेगा मतलब 100 साल हो जाएंगेआरएसएस को बने । विजयादशमी के दिन 27 सितम्बर 1925 को इसकी स्थापना हुई थी । पिछले 97 वर्षो में आरएसएस का बहुत विस्तार हुआ है । आरएसएस की शाखाएं देश के कोने कोने तक चलती है । देश दुनिया में हिंदुत्व के रूप में पहचान बनाने वाली आरएसएस सिर्फ हिन्दू मजहब के लिए कार्य नहीं करती है बल्कि देश में हिन्दू के अलावा मुस्लिम , सिख, ईसाई, जैन और बौद्ध धर्म के लिए नियमित कार्य करती है । आज भले ही कई मुस्लिम ठेकेदार दावे करते हो की आरएसएस मुसलमान के किए खतरा है वो जरा आरएसएस के अंदर देखें जाकर की टीम में मुस्लिम है कि नहीं , आरएसएस मुस्लिम त्योहारों पर गरीब परिवार के लिए मदद में सहयोग करती है कि नहीं । खैर छोड़िए असल बात करते है क्या आपको पता है कि 97 बरस की आरएसएस पर तीन बार प्रतिबन्ध लग चुका है । इतिहास इसका गवाह और साक्षी दोनों है ।

Mahatma Gandhi ki hatya par lga tha RSS Par ban

कांग्रेस पार्टी कल भी कहते थी। आज भी कहती है और कल भी कहेंगे । कि महात्मा गांधी की हत्या करने वाला आरएसएस कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे थे। 30 जनवरी 1948 दिल्ली के बिड़ला हाउस में नाथूराम गोडसे ने बापू महात्मा गांधी को गोली मारी थी । गांधी की हत्या ने देश नहीं बल्कि पूरे विश्व जगत को झकझोर कर रख दिया था । इस पूरी घटना के बाद लोगो ने आरएसएस पर शक जाहिर किया । बापू के मौत के ठीक पांच दिन बाद यानी 4 जननवरी 1948 को सरकार ने आरएसएस पर बैन लगा दिया। उस समय आरएसएस के तत्कालीन सह संचालक एमएस गोलवलकर समेत कई आरएसएस कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया । जिस दिन गांधी की हत्या हुई उस समय बाला साहेब चेन्नई में थे उन्होंने इस पूरी घटना पर दुख जताया । जब वो चेन्नई लौटे तो उन्हे गिरफ्तार कर जेल में बन्द कर दिया । उस समय पुलिस की रिपोर्ट में कहा था कि गांधी की हत्या में आरएसएस का कोई हाथ नहीं था। लेकिन पुलिस की रिपोर्ट को सरकार ने सार्वजनिक नहीं किया । प्रतिबन्ध झेल रही आरएसएस के अंदर ही कई कार्यकर्ताओं में आपस में मनमुटाव शुरू हो गया । फिर संघ के बड़े नेता बाला साहब देवरस ने सरदार बल्लभ भाई पटेल से बात की । और कहा यदि आप आरएसएस पर बैन नहीं हटाएंगे तो हम राजनीति पार्टी बना लेंगे । बड़ी मशक्कत और दुविधा में फंसी सरकार आखिरकार 11 जुलाई 1949 को आरएसएस से बैन हटा लिया गया । प्रतिबन्ध हटने के बाद आरएसएस ने सीधे तौर पर राजनीति पार्टी नहीं बनाई । लेकिन श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपने सपोर्ट से 1951 में जनसंघ नाम से पार्टी बनी फिर यही पार्टी 1980 में भारतीय जनता पार्टी बन गई।

Emergency par lga Rss par ban

यह वर्ष 1975 था महीना जून का था । बापू महात्मा गांधी की हत्या के शक में गिरफ्तार किए गए बाला साहेब देवरस आरएसएस के सह संचालक बन चुके थे। उसी समय बिहार और गुजरात में शुरू हुआ स्टूडेंट मूवमेंट देशव्यापी रूप ले चुका था ।नेता जय प्रकाश नारायण इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे । रेलवे और पोस्टल हड़ताल की वजह से पूरा देश सरकार विरोधी हो चुका था ।तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी रायबरेली चुनावी नतीजे में उलझ चुकी थी । कोर्ट का फैसला उनके खिलाफ आया था । इंदिरा को कुछ सूझा नहीं तो 25 जून 1975 को देश में इमरजेंसी लगा दी । मीडिया की आवाज दबाने के लिए प्रेस से सेंसरशिप लगा दी । इसमें कई विपक्षी नेताओ ने सरकार का विरोध किया तो गिरफ्तार हुए इसमें आरएसएस के बाला साहब देवरस भी गिरफ्तार हुए । 9 दिन बाद 4 जुलाई 1975 को सरकार ने फिर आरएसएस पर प्रतिबन्ध लगा दिया । आपातकाल में आम चुनाव हुए तो इंदिरा गांधी हार गई और जनता पार्टी की सरकार बन गई । जनता पार्टी ने फिर सरकार बनते ही आरएसएस पर प्रतिबन्ध हटा दिया। उस समय जनता पार्टी सरकार में मोरार जी देसाई पीएम बने । 23 मार्च 1977 को आरएसएस पर प्रतिबन्ध हटाया गया ।

Babari masjid girne ke bad lga Rss par ban

साल 1980 में जनसंघ का रूप ले चुकी भारतीय जनता पार्टी अब खुलकर देश के सामने आ चुकी थी । पहली बार 1984 में लोकसभा चुनाव लडा और सर्फ दो सीट ही मिली । फिर भारतीय जनता पार्टी ने जो किया उसे पूरा भारत हिल गया और चर्चा का केंद्र बना । भारतीय जनता पार्टी ने 1986 मे अयोध्या के विवादित परिसर का ताला खोल दिया । फिर शुरू हुई मंदिर और मस्जिद की राजनीति । 1986 से 1992 तक खूब टकराव हुआ। 6 दिसंबर 1992 को कुछ अराजक तत्वों ने विवादित गुम्बद को गिरा दिया । दुनिया में इसकी चर्चा खूब हुई । इसके बाद तत्कालीन पीएम पीवी नरसिम्हा राव ने चार राज्यों की भाजपा सरकार को बर्खास्त कर दिया । 10 दिसंबर 1992 को आरएसएस पर प्रतिबन्ध लगा दिया । जांच हुई तो आरएसएस के खिलाफ कुछ नहीं मिला । फिर 4 जून 1993 को प्रतिबन्ध हटा लिया गया । मसलन तीनों ही बार जांच में आरएसएस निर्दोष साबित हुई । फिर भी प्रतिबन्ध झेला । आज भी आरएसएस को बदनाम किया जाता है।

Brajesh Saini

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