Char Dham ki Yatra kaise kare : भारत एक विविधताओं वाला देश है। यहां लगभग प्रत्येक समुदाय और मजहब के लोग रहते है। और सबकी अपनी एक आस्था हैं । और उनके धर्म की खूबसूरती भी। लेकिन भारत में हिन्दू समाज की आबादी अधिक है। इस लिहाज से यहां हिंदू धर्म सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। हिंदू का सनातन धर्म से करोड़ों वर्ष पुराना रिश्ता है। कहने का मतलब हिंदू धर्म का रिश्ता सनातन धर्म से जुड़ा है। हिंदू धर्म की मान्यता 33 कोटि देवी देवताओं से मानी गई है। भारत में सभी 33 कोटि के देवी देवता कोने कोने में विराजमान है। । हिन्दू धर्म में माना जाता है यदि हिन्दू समाज का कोई भी व्यक्ति चार धाम की यात्रा कर लेता है तो उसे अपने जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है । और वह मोक्ष को प्राप्त हो जाता है सनातन धर्म के जानकारों का कहना है कि हिन्दू धर्म के प्रत्येक व्यक्ति को एक बार चार धाम की यात्रा जरूर करनी चाहिए । ऐसा माना जाता है कि चार धाम यात्रा की संज्ञा श्री शंकराचार्य ने दी थी। लेकिन क्या आपको पता है कि वो चार धाम क्या है जहां मनुष्य अपने कष्टों का निवारण करने जाता है। आज हम आपको इस आर्टिकल में चार धाम की यात्रा से जुड़ी पूरी जानकारी देंगे।
Char dham ki Yatra kya hoti hai
हिन्दू धर्म में तीर्थ स्थलों का दर्शन को विशेष महत्व दिया गया है। चार धाम यात्रा हिन्दू धर्म के लिए अधिक इसलिए महत्व रखती है। क्योंकि ऐसा माना जाता है। कि कोई व्यक्ति ईमानदारी और पूरी निष्ठा के साथ भगवान को साक्षी मानकर अगर चारों धाम की यात्रा करता है। तो उसने जीवन में जो भी पाप किए होते हैं। उसे उन पापों से छुटकारा मिल जाता है। साथ ही उसे स्वर्ग लोक में प्रभु के सामने कोई जवाब नहीं देना होता हैं। इसलिए भारत में प्रत्येक हिंदू को अपने जीवन में एक बार चार धाम की यात्रा जरूर करनी चाहिए। यहां चार धाम का मतलब बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, द्वारिका, और रामेश्वरम को दर्शाया गया है अगर हिन्दू धर्म से जुड़ा व्यक्ति इन चारो धाम की यात्रा सम्पूर्ण कर लेता है। तो वह बैकुंठ धाम में शांति प्राप्त करता है। तो फिर आइए जानते है। इन सभी चारों धाम के बारे में ।
Badrinath
बद्रीनाथ उत्तराखंड राज्य में है यह बद्रीनाथ समुद्र तल की 3133 मीटर की ऊंचाई पर विद्दमान है। बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु के प्रसिद्ध मंदिरों में एक है। बद्रीनाथ जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थल जाने का उचित समय मई महीने से अक्टूबर महीने के बीच माना जाता है । यहां भक्तों की अधिक संख्या होती है। सामान्य दिनों में यहां रोजाना हजारों की संख्या में भक्त जाते है। लेकिन जब चार धाम यात्रा का समय होता है तो इनकी संख्या बढ जाती है। यात्रा के साथ भक्त केदारनाथ मंदिर भी जाते हैं।
Jagannath Puri
जगन्नाथ पुरी चार धाम की सूची में दूसरा पावन तीर्थ स्थल माना गया है। यह भारत के पश्चिम राज्य ओडिशा में स्थित है। यहां जगन्नाथ भगवान जी का मंदिर है। ओडिशा प्रांत के लोगों में जगन्नाथ भगवान के प्रति दूसरे प्रांत के भक्तों से अधिक है। ऐसा माना जाता है कि यहां सिर्फ सनातन धर्म से मान्यता रखने वाले भक्तों को ही प्रवेश और दर्शन मिलता है। इस मंदिर में मुख्य रूप से भगवान जगन्नाथ , बालभद्र, और सुभद्रा की पूजा होती है। आपको बता दें की जगन्नाथ शब्द जगत +नाथ है जिसका अभिप्राय ब्रम्हांड के भगवान से है खास बात यह है कि इस मंदिर मे सभी देवी देवताओं की मूर्ति लड़की से बनी होती है कहते है ।12 वर्ष पहले इन मूर्तियों को पवित्र पेड़ो की लकड़ियों से बनाई गई है। ज्यादातर भक्त इस मंदिर में दर्शन के लिए अप्रैल माष से अक्तूबर तक आते है । इस मंदिर की अपनी एक श्रद्धा है।
Rameshwaram
दक्षिण भारत में स्थित रामेश्वर मंदिर भगवान शिव का है जो पूरे भारत में प्रसिद्ध है। इस मंदिर के पीछे मान्यता रामायण युग से है कहते है कि रावण का वध करने के बाद ब्राह्मण की हत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए भगवान राम ने रामेश्वरम आकर भगवान शिव की आराधना की थी । क्योंकि रावण एक ब्राह्मण व्यक्ति थे। फिर इसकी मूर्ति भगवान पवन पुत्र हनुमान जी द्वारा कैलाश लाई गई थी । दक्षिण भारत में इस मंदिर के प्रति बहुत आस्था है लेकिन भारत से हर वर्ष जब चार धाम की यात्रा शुरू होती है तो भक्त यहां बड़ी संख्या में पहुंचते है।
Dwarika
द्वारकाधीश का पवित्र मंदिर भारत के साथ साथ पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। द्वारकाधीश मंदिर भगवान श्री कृष्ण का मंदिर है। यह मंदिर भारत के गुजरात प्रांत मे स्थित है आपको बता दें कि इस मंदिर को सनातन धर्म में मोक्षपुरी भी कहा जाता है। चार धाम की यात्रा का यह अंतिम धाम माना जाता है। यहां हर साल बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए पहुंचते है।
Sanatan Dharm ka char Dham me itihas kya hai
हमने आपको हिन्दू धर्म से जुड़े चारों धाम के बारे में बताया है अब आपको इसका इतिहास भी बताते। जिसमे सभी धामों का विवरण देंगे। पहले बात करते है। बद्रीनाथ की , यह तब शुरू हुआ जब भगवान विष्णु के अवतार नर नारायण ने वहां तपस्या की थी फिर वह स्थान बेरी पेड़ से भर गया था संस्कृत में बेरी का अर्थ बुरा होता है इस स्थान को बद्रीका वन नामित किया गया। नारायण जब पूजा कर रहे थे तो सूर्य की गरमी और वर्षा से बचाने के लिए बेरी के पेड़ ने उन्हें ढका लिया था। अब जानते है दूसरे स्थान का इतिहास रामेश्वरम को त्रेता युग में महत्व मिला , भगवान राम ने यहां शिव लिंगम का निर्माण किया था। शिव का आशीर्वाद पाने के लिए पूजा की । रामेश्वरम का नाम राम के नाम पर रखा गया था। तीसरा धाम द्वारका का आशय श्री कृष्ण से है जन्म के बाद भगवान श्री कृष्ण ने द्वारिका को अपना स्थान बनाया। चौथा धाम का आशय शंकराचार्य पीठ है जिसमे हिन्दू धर्म के बारे में शिक्षा दी जाती है शंकराचार्य ने ही हिन्दू धर्म के पीठ संस्थान बनाए थे। जगन्नाथपुरी इसी में है सभी धामों की अपनी मान्यता है । इसलिए सनातन धर्म से जुड़े हिन्दू व्यक्ति को जीवन में इन चारों धामों की यात्रा करना चाहिए ।
Add comment